Old Pension Scheme Closed:मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य की बुजुर्ग पेंशन योजना में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पेंशन का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंद बुजुर्गों तक पहुंचे। आइए इन बदलावों और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें।
पेंशन योजना में किए गए प्रमुख बदलाव
सरकार ने राज्य में चल रही विभिन्न पेंशन योजनाओं की समीक्षा की है। इसके तहत लगभग एक लाख से अधिक बुजुर्गों की ₹600 प्रति माह की पेंशन को रोक दिया गया है। यह कदम उन लोगों को पेंशन से बाहर करने के लिए उठाया गया है, जो वास्तव में इसके पात्र नहीं हैं।
प्रभावित योजनाएं
इस बदलाव से कई प्रमुख योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिनमें शामिल हैं:
• सामाजिक सुरक्षा बुजुर्ग पेंशन स्कीम
• इंदिरा गांधी बुजुर्ग पेंशन स्कीम
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना
• मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा स्कीम
• विभिन्न दिव्यांग पेंशन योजनाएं
पात्रता में बदलाव
पहले, बुजुर्गों को पेंशन प्राप्त करने के लिए केवल 60 वर्ष से अधिक आयु, बीपीएल कार्ड और तीन फोटो की आवश्यकता होती थी। अब, आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है और इसके आधार पर ही पेंशन दी जाएगी।
पेंशन पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया
जिन बुजुर्गों की पेंशन रोकी गई है, उन्हें फिर से आवेदन करना होगा। यदि कोई व्यक्ति मानता है कि वह पेंशन का पात्र है, तो वह जन सुनवाई या सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकता है।
सरकार का दृष्टिकोण
मध्य प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पेंशन का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंद बुजुर्गों तक पहुंचे। इसके लिए सरकार ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे आवेदकों के दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करें।
समय सीमा और आगे की कार्रवाई
सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 15 जुलाई 2024 तक का समय निर्धारित किया है। इस अवधि में, पात्र बुजुर्गों की पेंशन को फिर से बहाल किया जाएगा।
वित्तीय प्रभाव
वर्तमान में, मध्य प्रदेश में लगभग 56.5 लाख लोग पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इस योजना पर राज्य सरकार प्रति माह लगभग 340 करोड़ रुपये खर्च करती है। जिन एक लाख बुजुर्गों की पेंशन रोकी गई है, उन पर लगभग 86 करोड़ रुपये खर्च होते थे।