Gold Silver Price 25 July:हाल ही में सोने और चांदी के दामों में भारी गिरावट देखी गई है। यह गिरावट बजट के दिन से शुरू हुई और अभी भी जारी है। आइए इस स्थिति का विस्तार से विश्लेषण करें।
मूल्य में गिरावट का विवरण
25 जुलाई को चांदी का मूल्य 3,061 रुपये प्रति किलो घटकर 81,801 रुपये पर पहुंच गया। वहीं सोने का भाव 974 रुपये प्रति 10 ग्राम कम होकर 68,177 रुपये हो गया। पिछले तीन दिनों में सोना लगभग 5,000 रुपये सस्ता हुआ है, जबकि चांदी 6,000 रुपये से अधिक गिर चुकी है।
बजट के प्रभाव
यह गिरावट मुख्य रूप से बजट में की गई घोषणा का परिणाम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने और चांदी पर कस्टम ड्यूटी को 10% से घटाकर 6% कर दिया। इस कदम का सीधा असर सर्राफा बाजार पर पड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति
वैश्विक स्तर पर भी सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.9% गिरकर 2,377.29 डॉलर प्रति औंस हो गया, जबकि अमेरिकी सोना वायदा 1.6% गिरकर 2,376.70 डॉलर पर आ गया।
विभिन्न कैरेट के सोने के दाम
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, 24 कैरेट सोने की कीमत 69,151 रुपये से घटकर 68,177 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। 22 कैरेट सोना 62,450 रुपये, 18 कैरेट 51,133 रुपये और 14 कैरेट 39,884 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है।
ग्राहकों की प्रतिक्रिया
कीमतों में गिरावट के कारण ग्राहकों में सोना और चांदी खरीदने की होड़ मच गई है। कई ज्वैलरी स्टोर्स ने ग्राहकों की संख्या में वृद्धि देखी है। जॉय अलुक्कास के सीईओ बेबी जॉर्ज के अनुसार, उनके स्टोर पर मांग में 15 से 20% की वृद्धि की उम्मीद है।
कीमतों में गिरावट के कारण
सोना और चांदी के गिरावट के बहुत सारे कारण है:
1. कस्टम ड्यूटी में कमी: बजट में सोने और चांदी पर कस्टम ड्यूटी घटाने की घोषणा मुख्य कारण है।
2. व्यापार घाटा: जुलाई 2022 में व्यापार घाटा बढ़ने के कारण सरकार ने सोने पर सीमा शुल्क बढ़ाया था। अब इसमें कमी की गई है।
3. आयात पर निर्भरता: भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सोने के आयात पर निर्भर है। इसलिए सोने की खपत में वृद्धि व्यापार घाटे को प्रभावित करती है।
भविष्य की संभावनाएं
यसोने और चांदी की कीमतों में आई गिरावट एक दोधारी तलवार की तरह है। एक तरफ यह खरीदारों के लिए सुनहरा मौका है, तो दूसरी ओर देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय। भारत हर साल करीब 800-850 टन सोना आयात करता है, जो हमारे व्यापार संतुलन को प्रभावित करता है। अगर निर्यात नहीं बढ़ा तो सरकार को फिर से शुल्क बढ़ाना पड़ सकता है। यह गिरावट अभी तो राहत दे रही है, पर लंबे समय में इसके नतीजे क्या होंगे, यह देखना बाकी है। आने वाले दिनों में सरकारी फैसले और दुनिया भर के बाजारों की चाल तय करेगी कि यह सस्ता सोना कब तक हमारी जेब में चमकता रहेगा।